रावण की गर्जना व संदेश
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/3b8d05feb9a68d65f47715c1cc0d5fe9_bb4e0f6f85f27ac9dcfa4ab189b0998c_600.jpg)
अबकी बार रावण दशहरे पर आया,
राम पर गरजा और ऐसे चिल्लाया।
पहले अपने देश को ठीक कर आओ,
फिर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
कुम्भकर्ण को यूही बदनाम करते हो,
छ:महीने सोने का आरोप लगाते हो।
तुम्हारे नेता तो पांच साल सोते है,
जब चुनाव होते तो जाग कर आते है।।
अपने इन नेताओ को तो जगाओ,
फिर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
मैंने कभी भी अपना रूप छिपाया है,
जैसा था, वही उसी रूप में आया हूं।
तुम्हारे देश में संत बने है दुराचारी,
योंन शोषण करते है ये अत्याचारी।
पहले इन संतो को रास्ते पर लाओ,
फिर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
तुम्हारे देश में केकयी के कारण,
दशरथ को ही मरना पड़ता है।
कम दहेज लाने के ही कारण,
कौशल्या को आत्म दाह करना पड़ता है।
पहले इन दहेज भक्षी को मार कर आओ,
फिर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
तुम्हारे देश में विभीषण के कारण,
अन्धो को रेवाड़ी बाटी जा रही है।
देश में मोर्डेन सूफनखा की जगह,
सीता की नाक काटी जा रही है।
पहले देश की नारी को बचाओ,
फिर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
तुम्हारे देश में मी टू का शोर मचा है,
उसमे एक्टर डायरेक्टर नेता फसा है।
ये नारियो के साथ करते छेड़ा छाडी,
रेप हत्या में रहे ये सबसे अगाडी।
पहले इन सब को बंद कर कर आओ,
फिर मुझ पर आकर बाण चलाओ।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम