राजू श्रीवास्तव – एक श्रृद्धांजली
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वो हंसमुख चेहरा,
वो हंसी का पिटारा ,
खुशियाँ सबको लुटाता,
सबका वो प्यारा,
पल भर का उसका साथ,
सारे गम भुलाता ,
जीवन के हर क्षण में,
वो हंसी ढूंढ लाता ,
नियति ने के क्रूर हाथों ने,
हमारा वो खजाना लूट लिया ,
दुःख से संतप्त कर हम प्रेमियों को,
रोता बिलखता छोड़ दिया ,
तेरी वो मीठी यादों को हम,
जीवन भर न भूल पाएंगें ,
तेरी बातों को याद कर हम,
अपना गम भुलाएंगे ।