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26 Aug 2022 · 1 min read

मौत पर लिखे अशआर

ज़िंदगी से निभा के बस चलिए ।
मौत देती निजात थोड़ी है ।।

भूल तू कभी न जाना
ज़िंदगी की चाहत में ।
ज़िंदगी के हिस्से में
मौत भी तो आती है ।।

काश़ वक़्त का कोई
लम्हा कमाल हो ।
न मौत का हो डर
न ज़िंदगी का सवाल हो ।।

मायने मौत के नहीं कुछ भी ।
आज भी ज़िंदगी से डरते हैं ।।

मौत को छू के हमनें जाना है ।
ज़िंदगी तेरी क्या हक़ीक़त है ।।

दर्द-ए-शिद्दत से फिर गुज़रती है ।
ज़िंदगी मौत से जब मिलती है ।।

जानता है वही जो इस दर्द से
गुज़रता है ।
एक ज़िंदगी में कोई कितनी
मौत मरता है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
5 Likes · 86 Views
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