Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2017 · 1 min read

“मैं बेटी घर की आंगन जैसी हूँ”

मैं बेटी घर की आंगन जैसी हूँ
मैं बाबुल की न्यारी
मैया की दुलारी
भैया की राजदुलारी
बहना की सखी
बेटी हूँ ….

जैसे बिन आंगन के
घर घर नहीं केवल कमरा होता
वैसे जिस घर में बेटी नहीं होती
वह परिवार कभी भी पूरा नहीं होता
इसलिए मेरी शादी के बाद
आंगन सूना हो जाता…

भले ही शादी के बाद
मैं पराई हो जाती
पर मायका का
खुला दरवाजे व खिलाडियाँ
हर वक्त मेरा रास्ते देखते
वैसे भैया व बहना मुझसे
मिलने को तरसते
मैया और बाबुल मुझसे मिलने का
खुली आँखों से सपना संजोते
दिल से मुझे खुश रहने का
सदा आशिष देते. …
कुमारी अर्चना
पूर्णियाँ बिहार
23 / 1 / 17
मौलिक और अप्रकाशित रचना

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ना आप.. ना मैं...
ना आप.. ना मैं...
'अशांत' शेखर
*सुविचरण*
*सुविचरण*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल  ! दोनों ही स्थितियों में
परिस्थितियां अनुकूल हो या प्रतिकूल ! दोनों ही स्थितियों में
तरुण सिंह पवार
हो जाऊं तेरी!
हो जाऊं तेरी!
Farzana Ismail
*दया*
*दया*
Dushyant Kumar
बाल कहानी- अधूरा सपना
बाल कहानी- अधूरा सपना
SHAMA PARVEEN
चेहरे उजले ,और हर इन्सान शरीफ़ दिखता है ।
चेहरे उजले ,और हर इन्सान शरीफ़ दिखता है ।
Ashwini sharma
इतना ना खुश हो ओ उड़ने वाले पंछी
इतना ना खुश हो ओ उड़ने वाले पंछी
Dr. Rajiv
साहस
साहस
श्री रमण 'श्रीपद्'
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ
Chunnu Lal Gupta
बाबा नीब करौरी
बाबा नीब करौरी
Pravesh Shinde
आंख खोलो और देख लो
आंख खोलो और देख लो
Shekhar Chandra Mitra
बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ
बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ
Shivkumar Bilagrami
पिता !
पिता !
Kuldeep mishra (KD)
*बारिश आती (बाल कविता/ गीतिका)*
*बारिश आती (बाल कविता/ गीतिका)*
Ravi Prakash
नारी
नारी
विजय कुमार अग्रवाल
मुझे  बखूबी याद है,
मुझे बखूबी याद है,
Sandeep Mishra
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
प्रेमदास वसु सुरेखा
परिवार, प्यार, पढ़ाई का इतना टेंशन छाया है,
परिवार, प्यार, पढ़ाई का इतना टेंशन छाया है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
वो सुन के इस लिए मुझको जवाब देता नहीं
वो सुन के इस लिए मुझको जवाब देता नहीं
Aadarsh Dubey
💐अज्ञात के प्रति-92💐
💐अज्ञात के प्रति-92💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
1-	“जब सांझ ढले तुम आती हो “
1- “जब सांझ ढले तुम आती हो “
Dilip Kumar
Kudrat taufe laya hai rang birangi phulo ki
Kudrat taufe laya hai rang birangi phulo ki
Sakshi Tripathi
फिर भी करना है संघर्ष !
फिर भी करना है संघर्ष !
जगदीश लववंशी
माँ कहने के बाद भला अब, किस समर्थ कुछ देने को,
माँ कहने के बाद भला अब, किस समर्थ कुछ देने को,
pravin sharma
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
Manisha Manjari
■ कोटिशः नमन्
■ कोटिशः नमन्
*Author प्रणय प्रभात*
अब गूंजेगे मोहब्बत के तराने
अब गूंजेगे मोहब्बत के तराने
Surinder blackpen
# शुभ - संध्या .......
# शुभ - संध्या .......
Chinta netam " मन "
एक बालक की अभिलाषा
एक बालक की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
Loading...