मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको जमाना जो भी कहे
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लोग कहते हैं लो वो पागल वो दिवाना आया
मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको जमाना जो भी कहे
लोग कहते हैं…………..
तेरी दिवानगी में कुछ ऐसी ही हालत है मेरी
दिल में अरमान है तेरा बस मोहब्बत है तेरी
मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको जमाना जो भी कहे
लोग कहते हैं…………..
तूँ समझे या ना समझे ये तो बस तूँ ही जाने
दिल की धड़कन में है बस तूँ मेरा खुदा जाने
मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको जमाना जो भी कहे
लोग कहते हैं…………..
‘विनोद’ हमको बतला दो भला ये दूरी कैसी
मोहब्बत दिल में थी तो अब ये मजबूरी कैसी
मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको जमाना जो भी कहे
लोग कहते हैं……………
मैं ख़ुद से बे-ख़बर मुझको…………………….