“मैं आग हूँ”
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/354c89ab6e4eb7227f807daadd498f94_525b2e457181cbd8284a8484c0751a3c_600.jpg)
“मैं आग हूँ”
दिलों में लग कर प्यार जगाती हूँ
ज़ज्बे में लग कर इंसान बनाती हूँ
साँच को कभी आने न देती आँच हूँ
मैं आग हूँ.
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
“मैं आग हूँ”
दिलों में लग कर प्यार जगाती हूँ
ज़ज्बे में लग कर इंसान बनाती हूँ
साँच को कभी आने न देती आँच हूँ
मैं आग हूँ.
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति