मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
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मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
अरे मैं इतना बुरा भी नहीं हूँ जितना तुम सोचते हों।।
विशाल बाबू ✍️✍️
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
अरे मैं इतना बुरा भी नहीं हूँ जितना तुम सोचते हों।।
विशाल बाबू ✍️✍️