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3 Oct 2016 · 1 min read

मूरत, भगवान और इंसान की

हे प्रभु,
इंसान की बनाई
मूरत है तेरी
यहाँ हर मंदिर में तेरे

जबकि
हर शख्स जमीं पर
इक नुमाइन्दा है तेरा
तेरी कारीगरी का
एक बे मिसाल नमूना है
जिसको देखू उसमें
चेहरा नजर आता है तेरा

फिर क्यों नहीं
तेरा बनाया हर शख्स
दूसरे को तेरा
अक्स है मानता
उसको पूजता
उसका कहा मानता

जिसको देखो
लड़ने पर उतारू है
हर शख्स दूसरे से यहाँ
अपने को सबसे ऊपर रख
दूसरे को नीचा है मानता

बड़े से बड़ा और
छोटे से छोटा
सबको है अपने पे गरूर
कोई नहीं है जो
अपने गिरेबां में झांकता

काश तेरे इशारे से कुछ
ऐसा गुल खिल जाये दुनिया में
प्यार मोहब्बत से
रहे तेरे बनाये लोग
तेरी बनाई इस दुनिया में

मिटे लड़ाई झगड़ा आतंक
और दूर हो कष्ट
इस दुनिया से उनके
जो भेजे गये है यहाँ तेरे द्वारा
प्रायश्चित करने
और भोगने फल अपने कर्मो का
मिले मौका उन्हें भी एक और
अपना अगला जन्म सुधारने का।।

…विनोद चड्ढा…

Language: Hindi
452 Views
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