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30 Sep 2016 · 1 min read

मुखौटा

नोंच लेती गर मुखौटा चेहरे पे होता
उसने पूरी शख्सियत पे पर्दा किया था

भारीभरकम शब्दो मे झूठ भांप मै लेती
पर उसने खामोशी से इजहार किया था

हर जख्म कबूल होता,हर दर्द सह मै लेती
पर उसने मेरे भावो का तिरस्कार किया था

क्या तमाशे है जहां के देख लो “प्रीति”
चीर गया दिल को ,जिसे दिल ये दिया था

Language: Hindi
Tag: कविता
615 Views
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