मुक्तक
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मुक्तक
जिसको था मैने चाहा दूर जाने लगा वो,
रिश्ते थे जो भी प्यार के भुलाने लगा वो l
अपना सा गैर कर दिया है उसने इस कदर,
अपने ही राज दिल में छुपाने लगा है वो ll
जख्मों की आग से ही वो मुझको जला रहा,
प्याले में भर के आंसू वो मुझको पिला रहा l
ना प्यार से देखा करे वो मुझको आजकल,
ना जाने किस बात का उसको गिला रहा ll