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22 Sep 2016 · 1 min read

मान नहीं

यार नही तो मान नहीं है
प्यार नहीं तो शान नहीं है

प्रिय मेरा साथ न हो फिर से
घर में कोई भी जान नहीं है

निभने में आती बाधाएँ
जिसका तुझको भान नहीं है

फूँक फूँक कर कदम रखो
जीवन में नुकसान नहीं है

हौसलें बुलन्द कभी हो गर
कोई राह अंजान नही है

प्रेम विकसता हो मन में जब
दिल का पंथ वीरान नही है

सच्चा कोई रहनुमा मिले
उससे बढ़ भगवान नही है

बहते अश्कों को जो पोछें
उससे बड़ा इंसान नही है

डॉ मधु त्रिवेदी

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