Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Mar 2017 · 1 min read

माँ मेरा मन

????
माँ मेरा मन,
तेरी गोदी ढूंढता है।
माँ मेरा तन,
तेरी वही स्पर्श चाहता है।
माँ मेरा अन्तस,
हर पल तुझे पुकारता है।
तू आ जाये काश अभी,
हर पल ये सोचता है।
????—लक्ष्मी सिंह ??

Language: Hindi
Tag: कोटेशन
339 Views

Books from लक्ष्मी सिंह

You may also like:
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
मैं अचानक चुप हो जाती हूँ
मैं अचानक चुप हो जाती हूँ
ruby kumari
३५ टुकड़े अरमानों के ..
३५ टुकड़े अरमानों के ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
असर होता है इन दुआओं में।
असर होता है इन दुआओं में।
Taj Mohammad
#एउटा_पत्रकारको_परिचय
#एउटा_पत्रकारको_परिचय
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
शुरुवात जरूरी है...!!
शुरुवात जरूरी है...!!
Shyam Pandey
कभी जब देखोगी तुम
कभी जब देखोगी तुम
gurudeenverma198
कहां गये हम
कहां गये हम
Surinder blackpen
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ताउम्र लाल रंग से वास्ता रहा मेरा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
वक्त
वक्त
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
Writing Challenge- अति (Excess)
Writing Challenge- अति (Excess)
Sahityapedia
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
श्याम सिंह बिष्ट
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
बढ़ चुकी दुश्वारियों से
Rashmi Sanjay
बड़ी मुश्किल से लगा दिल
बड़ी मुश्किल से लगा दिल
कवि दीपक बवेजा
वो मुझे याद भी
वो मुझे याद भी
Dr fauzia Naseem shad
काले घने बादल ढक लेते हैँ आसमां कुछ पल के लिए,
काले घने बादल ढक लेते हैँ आसमां कुछ पल के...
Dr Rajiv
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
सत्य कुमार प्रेमी
इधर उधर न देख तू
इधर उधर न देख तू
Shivkumar Bilagrami
अदम गोंडवी
अदम गोंडवी
Shekhar Chandra Mitra
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
जिंदगी का सफर बिन तुम्हारे कैसे कटे
VINOD KUMAR CHAUHAN
महेंद्र जी : संस्मरण एवं पुस्तक-समीक्षा
महेंद्र जी : संस्मरण एवं पुस्तक-समीक्षा
Ravi Prakash
"सच कहूं _ मानोगे __ मुझे प्यार है उनसे,
Rajesh vyas
श्रद्धा
श्रद्धा
मनोज कर्ण
मां सुमन.. प्रिय पापा.👨‍👩‍👦‍👦.
मां सुमन.. प्रिय पापा.👨‍👩‍👦‍👦.
Ankit Halke jha
✍️अरमानों की फरमाईश कर बैठे
✍️अरमानों की फरमाईश कर बैठे
'अशांत' शेखर
✍️जन्मदिन✍️
✍️जन्मदिन✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
दोहे तरुण के।
दोहे तरुण के।
Pankaj sharma Tarun
सफ़र
सफ़र
Er.Navaneet R Shandily
■ खुला दावा
■ खुला दावा
*Author प्रणय प्रभात*
उठो युवा तुम उठो ऐसे/Uthao youa tum uthao aise
उठो युवा तुम उठो ऐसे/Uthao youa tum uthao aise
Shivraj Anand
Loading...