Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2022 · 1 min read

माँ गंगा

आओं गंगा को एक बार,
फिर से पावन कर देते है।

माँ इन्हें कहा हैं तो,
माँ का रूप फिर देते है।

चलो एक बार फिर अंर्तमन से,
उनको सम्मान करते हैं ।

चलो माँ का दामन पकड़ कर,
अपने मन को फिर धोते है।

माँ के आँचल को मैला करने का
जो हमनें पाप किया है ।

आज फिर उन आँचल को साफ कर,
अपना पाप हम धोते है।

गाँव-गाँव, शहर-शहर,
जो हमें जल पहुँचाती हैं ।

बिना किसी स्वार्थ के,
जो रोज हमारे काम आती है।

आज फिर अंर्तमन से दिल,
से उनका आभार मानते है।

आज फिर उनके जल को,
हम निर्मल और पावन से बनाते है।

उनके चरणों में फिर से,
अपना तन-मन अर्पण करते है।

स्वर्ग से उतरी थी जैसे धरा पर
वैसा ही रूप फिर देते हैं।

आज उन्ही रूप को फिर से,
धरती पर विराजमान करते हैं।

आज माँ के जल को शुद्ध कर,
अंर्तमन से ग्रहण करते हैं।

अपने पाप से मुक्ति पाने के लिए,
माँ के जल को ग्रहण करते हैं।

आओं फिर से हम सब दिल से
माँ का आभार व्यक्त करते है।

आओ फिर से माँ को हम सब
मिलकर पावन कर देते है।

~अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 440 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
Sonam Puneet Dubey
कान्हा घनाक्षरी
कान्हा घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
विविध विषय आधारित कुंडलियां
विविध विषय आधारित कुंडलियां
नाथ सोनांचली
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
Sanjay ' शून्य'
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
sushil sarna
अपना-अपना भाग्य
अपना-अपना भाग्य
Indu Singh
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
Ranjeet kumar patre
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
Basant Bhagawan Roy
"तुझे चाहिए क्या मुझमें"
Dr. Kishan tandon kranti
भेड़चाल
भेड़चाल
Dr fauzia Naseem shad
आप जरा सा समझिए साहब
आप जरा सा समझिए साहब
शेखर सिंह
ये तनहाई
ये तनहाई
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आप आज शासक हैं
आप आज शासक हैं
DrLakshman Jha Parimal
पेड़ और ऑक्सीजन
पेड़ और ऑक्सीजन
विजय कुमार अग्रवाल
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
शिव प्रताप लोधी
कितना प्यारा कितना पावन
कितना प्यारा कितना पावन
जगदीश लववंशी
■ पहले आवेदन (याचना) करो। फिर जुगाड़ लगाओ और पाओ सम्मान छाप प
■ पहले आवेदन (याचना) करो। फिर जुगाड़ लगाओ और पाओ सम्मान छाप प
*प्रणय प्रभात*
लोग बंदर
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सनातन
सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
निगाहें
निगाहें
Shyam Sundar Subramanian
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
दीवारें
दीवारें
Shashi Mahajan
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
ruby kumari
-- नसीहत --
-- नसीहत --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
23/169.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/169.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
Don't let people who have given up on your dreams lead you a
पूर्वार्थ
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
पहाड़ की सोच हम रखते हैं।
Neeraj Agarwal
Loading...