Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 2 min read

मदनोत्सव

बीते
कई दिनों से
विभिन्न राजनैतिक
चर्चाओं में पूरा
शहर व देश मसगूल था ,
बसन्त की आहट का
किसी को कदाचित
पता ही नहीं चला था I

अचानक
आज भोर में
कोयल की कूक
मेरे शयनकक्ष की
खिडकियों से
मनीप्लांट की लड़ियों को
चीरते हुए कानो में पड़ी,
तब लगा मधुमास की
लो आ गयी घड़ी I

विगत कई दिनों की
व्यस्तताओं के उपरांत
आज मैंने अपनी
गृहवाटिका की ओर
चाय रुख किया,
अपने प्यारे पौधों को
गौर से निहारना
शुरू किया I

जहाँ प्रकृति के
शाश्वत परिवर्तन के
अविरल दौर दिख रहे थे ,
जीर्ण पीले पत्ते
सुकोमल हरे पत्तों को
क्रमशः एक लय में
अपना स्थान स्वेच्छा से
देते दिख रहे थे I

सुकुमार नवजात पत्तियां ,
प्रस्फुटित नई शाखाये व डलियाँ ,
उस पर मंडराती विलुप्त
होती तितलियाँ ,
पीले सरसों के फूलों से
पटे सुदूर सिवानों पर
इतराती टिड्डियाँ
मन को आह्लादित
कर रहे थे,
और बसंतोत्सव की
आहट को सम्पूर्णता से
दर्शा रहे थे I

उषाकाल का यह
पूरा परिदृश्य
अनजाने में ही
प्रकृति की समुचित
स्थानापन्नता के सार्वभौमिक
सिद्धांत का सन्देश
देता प्रतीत हो रहा था,
जीवन की विराटता के साथ
नश्वरता की व्यथा
पूरी व्यापकता से कह रहा था I

निर्विवाद ,
अतीत के संपन्न
विचारों के नीव पर
धूमिल तथ्यहीन और
औचित्यविहीन
हो चुके विचारों को त्याग कर
नूतन समकालीन उपयुक्त
विचारों एवं भावों के
आलिंगन की बात कह रहा था ,
साथ ही प्रौढ़ता से
वृद्धता की ओर
थक कर चल रहे कदमो से
इस अविरल सत्ता को
नयी ऊर्जावान पीढी को
स्वेच्छा से
पूरे विस्वास के साथ
सौपने की बात
दोहरा रहा था I

पूरी प्रकृति
एक ओर जहाँ अपनी
अवसादमुक्त हरित चादर में
खुशियों की सौगात लिए
मदनोत्सव हेतु होलिकादहन को
इच्छुक लग रही थी ,
वही दूसरी ओर
नए परिवेश के अनुरूप
नयी सोचों व नए मापदण्डो को
अपनाने का मूक सन्देश
दे रही थी I

निर्मेष

80 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all
You may also like:
इक पखवारा फिर बीतेगा
इक पखवारा फिर बीतेगा
Shweta Soni
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
Neelofar Khan
🙅सीधी-सपाट🙅
🙅सीधी-सपाट🙅
*प्रणय प्रभात*
चंद्रकक्षा में भेज रहें हैं।
चंद्रकक्षा में भेज रहें हैं।
Aruna Dogra Sharma
ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
Dr fauzia Naseem shad
आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,
आज ज़माना चांद पर पांव रख आया है ,
पूनम दीक्षित
सुन कुछ मत अब सोच अपने काम में लग जा,
सुन कुछ मत अब सोच अपने काम में लग जा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
प्राकृतिक सौंदर्य
प्राकृतिक सौंदर्य
Neeraj Agarwal
3129.*पूर्णिका*
3129.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सनम की शिकारी नजरें...
सनम की शिकारी नजरें...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम
शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम
gurudeenverma198
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
ruby kumari
छोटी कहानी -
छोटी कहानी - "पानी और आसमान"
Dr Tabassum Jahan
ध्रुव तारा
ध्रुव तारा
Bodhisatva kastooriya
* सड़ जी नेता हुए *
* सड़ जी नेता हुए *
Mukta Rashmi
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
ये संगम दिलों का इबादत हो जैसे
VINOD CHAUHAN
आप लोग अभी से जानवरों की सही पहचान के लिए
आप लोग अभी से जानवरों की सही पहचान के लिए
शेखर सिंह
जिंदगी पेड़ जैसी है
जिंदगी पेड़ जैसी है
Surinder blackpen
भ्रम
भ्रम
Shiva Awasthi
हँसकर आँसू छुपा लेती हूँ
हँसकर आँसू छुपा लेती हूँ
Indu Singh
*पयसी प्रवक्ता*
*पयसी प्रवक्ता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
Neelam Sharma
मैं पढ़ता हूं
मैं पढ़ता हूं
डॉ० रोहित कौशिक
इतनी के बस !
इतनी के बस !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
*वरिष्ठ नागरिक (हास्य कुंडलिया)*
*वरिष्ठ नागरिक (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
फटा ब्लाउज ....लघु कथा
फटा ब्लाउज ....लघु कथा
sushil sarna
सफल सिद्धान्त
सफल सिद्धान्त
Dr. Kishan tandon kranti
मन हर्षित है अनुरागमयी,इठलाए मौसम साथ कई।
मन हर्षित है अनुरागमयी,इठलाए मौसम साथ कई।
पूर्वार्थ
एक तूही ममतामई
एक तूही ममतामई
Basant Bhagawan Roy
Loading...