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30 Jan 2017 · 1 min read

बेटियाँ

“बेटियाँ”
आती है कोख में,अनजाना रिश्ता बन,
मोह लेती है आकर,जहाँ में सबका मन।

देख चहरे को इसके,सब हुआ खिला,
जाते हर गीला-शिकवा,मन से भूला।

जुड़ जाते हैं दिल के तार,उससे बेशुमार,
वही माँ-पापा हम,जो देते असीमित प्यार।

पायल की छन-छन से,आँगन गूँजता है,
उसके आने की खुशबू से,घर महकता है।

दूर रह जो पास होने का,अहसास देती है,
मुश्किल क्षण में साथ खड़ी,पास होती है।

ऐसी होती है खून से सिंची,हमारी परियाँ,
जिस घर भी जन्मी ये कली,कहते बेटियाँ।
……………………..

Language: Hindi
Tag: कविता
307 Views
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