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28 Jan 2017 · 1 min read

बेटियाँ:जीवन में प्राण

बेटियाँ
जीवन में प्राण हैं
प्रभु की प्रतिकृति
सरस्वती ,दुर्गा, लक्ष्मी —
वेदों से अवतरित ऋचाएँ हैं बेटियाँ
वर्षा की रिमझिम
तारों की टिमटिम
पावन गंगा सी बहती सरिताएँ हैं बेटियाँ
कोमल फूलों सी
घर-घर मंदिरों में सजीव प्रतिमाएँ हैं बेटियाँ
आओ !नमन करें ;पूजा करें
देवियाँ हैं बेटियाँ हैं
अरे !ओ!दैत्यो—सावधान!
क्रोधाग्नि की पराकाष्ठा
महाकाली हैं बेटियाँ
अब फर्क नहीं कोई
बेटों और बेटियों में
खेल मे,रण में, मैदान और ज्ञान में
चारों दिशाओं में अब्बल हैं बेटियाँ ।
Email:mukesh.badgaiyan30@gmail.com

1 Like · 1 Comment · 565 Views

Books from Mukesh Kumar Badgaiyan,

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