बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
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बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
उनको शक्ति के कहने पे आना पड़ा
भांग पीकर कभी रहते अलमस्त थे
गोपिका बनके गोकुल में आना पड़ा
प्रेम के गीत जिनने ना गाए कभी
जोगिया बन के डमरू बजाना पड़ा
भक्ति की भावना का यूं गुणगान हो
शिव को हनुमान का रूप धरना पड़ा
उनको पे धरती आना नही था मगर
राम को श्याम का रूप धरना पड़ा
जिसको इच्छा की मृत्यु का वरदान था
सेज बाणों की सैया पे रोना पडा
लोभ लालच उर नारी ना होती अगर
जिसके कारण था रावण को मरना पड़ा
खुद भी सुधरो सुधारो सभी लोग को
कामी क्रोधी को दुनिया से मरना पड़ा
कृष्णकांत गुर्जर