बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आते रदीफ़ ## रहे
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/fbae868c43a0add6ac3cd585ba8b1f9c_c2b4616fbb3b8acbcfd24aee508c27c9_600.jpg)
गिरह
आपकी तुहमत हमारे आँसुओं में कैद है,
गर्दिशों के दौर में हम हँसते मुस्काते रहे।
१)
क्यों हमारे इश्क़ को वो रोज़ अजमाते रहे।
कौन सा है यह चलन हम दिल को समझाते रहे।
२)
आइना होकर अचम्भित पूछता क्या बात है
आइने के सामने वो खूब इतराते रहे।
३)
है चमक आँखों में तेरी जीत के नव ख़्वाब की
मेघ बनकर तुम सदा ही हार पर जाते रहे।
४)
माहताबी नूर उसका उफ़ गुलाबी लब तिरे
गीत ग़ज़लें नज़्म लिख-लिख रोज़ हम गाते रहे।
५)
बात कुछ तो ख़ास है ‘नीलम’ तिरी तह़रीर में,
वाह’वाही कर तुम्हारी नज़्म सब गाते रहे।
नीलम शर्मा ✍️
तहरीर -लिखे गये शब्द