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20 Jan 2017 · 1 min read

बसंत

बसंत खड़ा द्वार

पल्लवित कुसुम,हरित कोमल पत्र सम्भार
दिग सुशोभित,हर्षित-गर्वित धरा रूप अपार
शीतलता ग्रसित,रंजीत रक्ताभ अधर- कपार
स्वेत वैरागी परिधेय मुक्त आया रंगीन वाहर
सुगंध पुष्प-पल्लव नवांकुरोन्मुख बसंत द्वार
विविधता में प्रकृति स्वीकृत प्रदत्त ऋतु शृंगार
धरित्री तरुणी सम बलखाती चतुर्दिक नीहार
आगत फाल्गुन,विरही प्रिया व्याकुलता धार
लाक्षणिक उमंग उल्लाष उन्मुख रंजीत संसार
प्रस्फुटीत मन में नव किरण बसंत खड़ा द्वार

सजन

(श्री जनमेजय त्रिवेदी जी के “बसंत गीत” से प्रभावित)

Language: Hindi
Tag: कविता
432 Views

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