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1 Feb 2017 · 1 min read

बसंत पञ्चमी

नू तन वस्त्र धरा ने धारे सज गईं सभी दिशाएं धुंधली दिशाएं ओझल हुई अब विकसा रवि मुस्काए।
आज प्रफुल्लित हो सारे मिलकर बसंत मनाएं।
मन में भरें उल्लास बसन्ती समय कीकटुता हंस सह जाएं।
चहुं ओर अज्ञानता तम मां है पसरा
मां शारदे लेके ज्ञान दीप कर में
सुन प्रार्थना झट प्रकट वह हो जाए।
मां ज्ञान चक्षु हों विकसित3 सभी के
अज्ञान तम हर उजेरा फै लाएं।
मिटे बैर तृषणा नफरत हिय। से
विश्व शांति का रेखा दीपक जलाएं
नित्य प्रतिदिन हो सुख समृधि वृद्धि यश बल का परचम नभ मे फहराएं।
हे शारदे मां ऐसा तू वर दे कि भारत अजेय बसंत पंचमी मनाए।

Language: Hindi
Tag: कविता
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