Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2023 · 4 min read

*फेसबुक पर स्वर्गीय श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी से संपर्क*

फेसबुक पर स्वर्गीय श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी से संपर्क
________________________
सहकारी युग (हिंदी साप्ताहिक, रामपुर) के माध्यम से 1983 से श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी से संपर्क शुरू हुआ । इसी वर्ष मेरा विवाह संपादक श्री महेंद्र प्रसाद गुप्त जी की सुपुत्री से हुआ था और मैंने साप्ताहिक में नियमित रूप से लिखना शुरू कर दिया। शिव अवतार रस्तोगी सरस जी पहले से ही लेखन के कार्य में सक्रिय थे ।
अब वह पुराना सहकारी युग का दौर पिछले जन्म की घटनाऍं जान पड़ता है । लेखन का पुनर्जन्म एक तरह से फेसबुक और व्हाट्सएप से शुरू हुआ । मैं अपनी हर रचना को फेसबुक पर डालता था। सरस जी मेरी रचनाएं पढ़ते थे और कमेंट खुलकर करते थे ।
जब मैंने अपने विश्वविद्यालय विद्यार्थी-जीवन की एक पुरानी फोटो डाली, तब उनकी आत्मीयता से भरी हुई प्रतिक्रिया आई कि हमने आपको पहली बार इसी रूप में देखा था ! पढ़कर मन प्रसन्न हो गया । यह स्नेह से भरी हुई ऐसी टिप्पणी थी, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। कविताओं पर भी आपकी टिप्पणी आती थी । लेखों पर भी आप अपने विचार व्यक्त करते थे।
एक बार जब हमने लॉकडाउन में घर की रसोई में कढ़ाई को मॉंजते हुए अपना फोटो डाला, तो सरस जी की प्रतिक्रिया बहुत भावुक थी। उनका आशय यह था कि अब कैसे दिन आ गए ! सरस जी की प्रतिक्रियाओं में उनकी बेबाकी झलकती थी । वह खुलकर अपनी बात कहते थे और कुछ भी छुपा कर नहीं रखते थे।
जब मैंने लॉकडाउन के समय का सदुपयोग करते हुए “मुंडी लिपि” पर शोध कार्य किया और उसे फेसबुक पर डाला, तो सरस जी ने इस कार्य को आगे बढ़कर सराहा । प्रतिक्रिया में उन्होंने आत्मकथात्मक शैली में पुराने दिनों की यादें भी ताजा कर दी थीं। उनकी टिप्पणी इस प्रकार है :-

“हमने भी बचपन में सीखी थी। जिन परिवारों का अपना व्यवसाय और अधिक पढ़ाने के संसाधन नहीं होते थे, उनके बच्चे प्राय: कक्षा ४-५ के बाद मुनीमी सीखते और मुनीम हो जाते थे मगर हमारी पढ़ाई का क्रम नहीं टूटा और इंटर बीटीसी के बाद ही मुझे दो रुपये रोज की अध्यापकी मिल गई थी।
मुंडी लिपि शोर्ट-हैंड जैसी संक्षिप्त और गुप्त -लिपि है । आपने उसके विकास और विस्तार के लिए अच्छा प्रयास किया है। इस हेतु बधाई। खेल खेल में पढ़ना-लिखना शीर्षक तालिका बनाते समय इसी कारणवश अधिक कठिनाई आती है। आपके सत्प्रयास हेतु साधुवाद।”
इस तरह मेरा संपर्क जहॉं एक ओर चालीस साल पहले सरस जी से सहकारी युग हिंदी साप्ताहिक, रामपुर के माध्यम से आया था, वह फेसबुक के माध्यम से पुनर्जीवित होकर एक नए, अधिक निकट और त्वरित रूप में उपस्थित हो गया । इस तरह एक प्रकार से हमारी मुलाकातें प्राय: हर रोज ही हो जाती थीं। फिर उन्होंने मुझे अपनी आत्मकथा-पुस्तक भी भिजवाई थी, जिस पर मैंने समीक्षा भी लिखी। उनका जीवन संघर्ष और रचनात्मकता से भरा हुआ था । वह हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
———————
पुस्तक समीक्षा
_____________________________________
पुस्तक का नाम : मैं और मेरे उत्प्रेरक
आत्मकथा लेखक : श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी की जीवन यात्रा
संपादक : बृजेंद्र वत्स
प्रबंध संपादक: अशोक विश्नोई
संयोजन : श्रीमती कनक लता सरस
प्रकाशक : पुनीत प्रकाशन, मालती नगर, मुरादाबाद
संस्करण : 2014
मूल्य : ₹500
कुल पृष्ठ संख्या: 528
————————————————-
4 जनवरी 1939 को संभल, उत्तर प्रदेश में जन्मे हिंदी के प्रमुख बाल साहित्यकार तथा कुरीतियों के विरुद्ध निरंतर सामाजिक चेतना को जागृत करने वाले सजग लेखक और कवि श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस का जीवन वास्तव में उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। यह उन सब लोगों के लिए प्रेरणादायक है ,जो विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य की प्राप्ति की आकाँक्षा रखते हैं। आप की आत्मकथा “मैं और मेरे उत्प्रेरक” इस दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक है कि यह एक व्यक्ति द्वारा विपरीत परिस्थितियों में जूझते हुए आत्मनिर्माण की प्रक्रिया को बताती है।
अनेक महापुरुषों के संदेशों से, उनके पत्रों से तथा लेखों से भरी हुई यह पुस्तक श्री सरस जी के जीवन और कृतित्व के विविध आयामों को उद्घाटित करती है । सर्वश्री विष्णु प्रभाकर ,कुँअर बेचैन , बनारसीदास चतुर्वेदी, मोरारजी देसाई आदि न जाने कितने नाम है ,जिनके साथ श्री सरस जी की जीवन यात्रा घुल- मिल गई है।
अपनी आत्मकथा में सरस जी ने बहुत सादगी से भरी भाषा और शैली में अपने जीवन का चित्रण किया है। आपने एक जमींदार परिवार में जन्म लेने के बाद जहाँ एक ओर जमींदारी की पृष्ठभूमि में धनाड्यता के स्वरों को पिता और पितामह के जीवन में अतीत में कहानियों के रूप में सुना, वहीं दूसरी ओर बाल्यावस्था से अभावों को भोगा और सब प्रकार से संस्कारों के साथ तथा कुसंगों से बचते हुए एक आदर्श जीवन शैली अपने लिए विकसित की ।आपके भीतर सदैव एक निश्छल हृदय हिलोरें मारता रहा और यही आपके भीतर का बालक बाल- कविताओं के रूप में संसार के सामने आया ।
पिता हिंदी तथा उर्दू के अच्छे कवि थे तथा उनकी कविताओं ने बाल्यावस्था में ही श्री सरस के जीवन को कविता की ओर मोड़ दिया। शिक्षा पूरी करने के बाद प्रारंभ में आपने कुछ स्थानों पर अध्यापन कार्य किया , लेकिन बाद में महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज, मुरादाबाद में आप स्थाई रूप से प्रवक्ता के पद पर नियुक्त हो गए तथा मुरादाबाद को ही आपने अपनी कर्मभूमि के रूप में स्वीकार किया । मुरादाबाद में आपको साहित्यिक तथा सामाजिक दृष्टि से अनुकूल वातावरण मिला तथा आपके आत्मीय संबंध क्षेत्र में सभी के साथ स्थापित हो गए ।आत्मकथा में आपने इन सबका स्मरण किया है ,जो बहुत रोचक है।
बृजेंद्र सिंह वत्स द्वारा बहुत परिश्रम के साथ संपादित तथा अशोक विश्नोई के प्रबंध संपादक रूप में प्रकाशित पुस्तक “मैं और मेरे उत्प्रेरक” एक सराहनीय कृति है तथा इससे घर- परिवार, समाज ,सहकर्मियों तथा साहित्यकारों सभी के बीच में घुल- मिल कर एक बहुआयामी व्यक्तित्व किस प्रकार शिव अवतार रस्तोगी सरस के रूप में सर्वप्रिय स्थिति में निर्मित हो जाता है, इसका पता चलता है। आप प्रमुख बाल साहित्यकार हैं।
—————————————————
समीक्षक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 545 1

138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Vandna Thakur
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
"बेज़ारे-तग़ाफ़ुल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
हिंदी दोहे- कलंक
हिंदी दोहे- कलंक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
Amulyaa Ratan
"पता सही होता तो"
Dr. Kishan tandon kranti
हिरनगांव की रियासत
हिरनगांव की रियासत
Prashant Tiwari
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
मेरी हथेली पर, तुम्हारी उंगलियों के दस्तख़त
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
The Saga Of That Unforgettable Pain
The Saga Of That Unforgettable Pain
Manisha Manjari
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
*सकल विश्व में अपनी भाषा, हिंदी की जयकार हो (गीत)*
Ravi Prakash
"" *महात्मा गाँधी* ""
सुनीलानंद महंत
प्रदूषन
प्रदूषन
Bodhisatva kastooriya
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बिसुणी (घर)
बिसुणी (घर)
Radhakishan R. Mundhra
सबको   सम्मान दो ,प्यार  का पैगाम दो ,पारदर्शिता भूलना नहीं
सबको सम्मान दो ,प्यार का पैगाम दो ,पारदर्शिता भूलना नहीं
DrLakshman Jha Parimal
जो वक्त से आगे चलते हैं, अक्सर लोग उनके पीछे चलते हैं।।
जो वक्त से आगे चलते हैं, अक्सर लोग उनके पीछे चलते हैं।।
Lokesh Sharma
3106.*पूर्णिका*
3106.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
कहां बिखर जाती है
कहां बिखर जाती है
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
आओ गुफ्तगू करे
आओ गुफ्तगू करे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
यह दुनिया है जनाब
यह दुनिया है जनाब
Naushaba Suriya
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
बड़ी कथाएँ ( लघुकथा संग्रह) समीक्षा
बड़ी कथाएँ ( लघुकथा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
प्रेम की तलाश में सिला नही मिला
प्रेम की तलाश में सिला नही मिला
इंजी. संजय श्रीवास्तव
इन्सान अपनी बात रखने में खुद को सही साबित करने में उन बातो क
इन्सान अपनी बात रखने में खुद को सही साबित करने में उन बातो क
Ashwini sharma
क्रिकेटी हार
क्रिकेटी हार
Sanjay ' शून्य'
बुली
बुली
Shashi Mahajan
Loading...