फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
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फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
बड़ी देर की यूँ ग़ज़ल गुन’गुनाते
रहा इश्क़ का खाता हरदम ही ख़ाली
कि हम चैक दिल का ये कैसे भुनाते
—महावीर उत्तरांचली
फ़साना-ए-उल्फ़त सुनाते सुनाते
बड़ी देर की यूँ ग़ज़ल गुन’गुनाते
रहा इश्क़ का खाता हरदम ही ख़ाली
कि हम चैक दिल का ये कैसे भुनाते
—महावीर उत्तरांचली