प्रेम जब निर्मल होता है,
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प्रेम जब निर्मल होता है,
निर्दोष होता है,
निराकार होता है;
जब हम प्रेम में सिर्फ देते हैं,
माँगते नहीं;
तब प्रेम दान होता है—
प्रेम सम्राट समान होता है,
भिखारी नहीं—
किसी ने हमारा प्रेम स्वीकार किया
हम आनन्दित होते हैं
हिमांशु Kulshrestha