प्रार्थना
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प्रार्थना
नभ है तेरा है तेरी ही भू
नहीं सामने है मगर हर सू
दर्द दे चाहे आँख भर
दवा भी कर सकूं दे तू
लाचार न कर तेरे बंदे हैं हम
सर झुकाए कहें अपना है तू
प्यास सहरा सी बन गई
कतरे हैं हम सागर है तू
रहें घर बसे सजें रौनकें
ऐसी राहतों का सबब है तू
न बिछड़े कोई सदा के लिए
बस हाथ थामे रहे जो तू
कई सबक तूने सिखा दिए
मरहम की अब तो दुआ दे तू
सहमा हुआ हर शख़्स है
यही इल्तिजा हमें बख़्श तू ।