प्यार:एक ख्वाब
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प्यार :एक ख्वाब
ये याद भी कैसी याद ,
जिस याद में केवल नफरत हो ।
पता नहीं ये प्यार भी कैसा प्यार ,
जिस प्यार में केवल बिछड़ना हो ।
मैं चाहता था प्यार करूगाँ ,
प्यार चाहता था सबक सिखाऊगाँ ।
प्यार तो हुआ ही नहीं ,
पर सबक भी सीख लिया हूँ ।
ना जाने ये तर्पण कैसी थी,
तुमसे प्यार करने का ।
ना जाने ये सोच कैसा था,
तुमसे बातें करने का।
सबक भी सीख लिया हूँ ,
अब दूसरे को नहीं आने देंगें ।
दिल चाहता है मेरा ,
तुझे भी नहीं जाने देंगें ।
इच्छा तो बस सपना रह गया,
अपनों से बात करने का ।
ख्वाब तो बस दिल में ही रह गया,
अपनों से प्यार करने का ।