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31 Jul 2022 · 1 min read

पिया मिलन की आस

कंचन सी कोमल काया,
कंचन रहा सजाये।
रूप अपना देखकर,
गौरी रही लजाये।
पिया-मिलन की आस में,
मन ही मन सकुचाये।
अधरों पर मुस्कान सजी,
पलकें रही झुकाये।

– – रचनाकार :- कंचन खन्ना, कोठीवाल नगर,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- ०९.०४.२०१८.

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 190 Views
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