पिता
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हर मुश्किल में वे चट्टान बन कर अड़े है।
हर जरूरत के समय मेरे पास ही खड़े हैं।।
दुनिया की हकीकतों से रूबरू कराने वाले हैं।
सही गलत की मुझको पहचान कराने वाले हैं।।
दिखने में बहुत सख्त मगर नर्म दिल इंसान है।
दुनिया की नजरों में पिता पर मेरे लिए भगवान हैं।।
घोड़ा बनकर पहली सवारी उन्होंने ही करवाई थी।
कंधे पे बिठा के रामलीला भी उन्होंने ही दिखाई थी।।
आपके रौबीले चेहरे पर पूरे परिवार को फिक्र होता हैं।
डांट डपट का भयंकर रूह तक असर होता हैं।।
उंगली थाम के चलने में जो सुकून मिलता हैं।
गाँव देहात के अनेक किस्सों में जनून मिलता है।।
मेहनत की एक एक पाई की कीमत को जानते हैं।
हर रिश्ते की मर्यादा अच्छी तरह से पहचानते हैं।।
एक गुरु मंत्र उनका मेरे कानों रोजाना गूँजता हैं।
इसलिए मेरा मन हर पल आपको बार बार प्रणाम करता है।।
नाकामियों को पीछे छोड़ आगे ही बढ़ते ही जाते हैं।
उनकी शान में चाहे कुछ भी लिखू कम ही लगता है।।
बेटा चाहे कुछ भी बन जाये पर पिता से छोटा रहता है।
जिस सम्मान के वो हकदार है उन्हें वही सम्मान दे।।
शंकर आंजणा नवापुरा
बागोड़ा जालोर-2343032