*पार्क (बाल कविता)*
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पार्क (बाल कविता)
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घर के पास पार्क अति प्यारा
हरा-भरा इस से जग सारा
हरी घास पर दौड़ लगाते
नेत्र-ज्योति यों रोज बढ़ाते
पार्क हमारा असली धन है
आकर यहॉं हुआ खुश मन है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451