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6 Aug 2016 · 1 min read

पहाड़ो की सैर

टेड़े -मेढ़े पहाड़ों के अनजान रास्तें
सुंदर, कमनीय और विहंगम रास्तें
गुजरती हूँ जब इन राहों से होकर
सौंदर्य का करा रहे संगम ये रास्ते

घुमावदार रास्तें से निकल कर गुजरे
प्यार भरी मीठी सी बातें कर गुजरें
सौंदर्यमयी छटा का करें नयनपान
शरारत से एक दूजे को घूर गुजरे

उषा सुन्दरी नवपुष्पों पर आ पड़ी
बारिश की बूँदे मोती बन आ पड़ी
मौसम सुहाना सा मादक हो गया
उद्वेलित आवेगों की मनशैय्या पड़ी

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 1 Comment · 348 Views
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