*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/dc77b0a945d69f77be5a96873b664e8c_a4af688963fc28b059bc110460b78bfe_600.jpg)
परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)
————————————-
कभी आभार की-आलोचना की धार होती है
कभी जय की-पराजय की, कभी बौछार होती है
जिन्हें मालूम खुश रहने की, जीवन में कला अद्भुत
परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है
—————————————-
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451