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28 Jun 2023 · 1 min read

पथिक आओ ना

बंद दरवाजा
हौले हौले से
खुल रहा है
उसके पीछे से
झांकती प्रतीक्षारत
दो व्याकुल आँखे
कह रही है
पथिक आओ ना

तुम्हारे साथ बैठकर
कुछ सुख दुःख
बाँटना चाहती हू
बिना कोई उम्मीद के
निश्छल कविता सुनना
और सुनाना चाहती हूँ
सूखे ह्रदय में पल्ल्वित
प्रेम के पौधे को
सींच जाओ ना
पथिक आओ ना

तुम तो सब जानते हो
जानकर भी खुद को अनजान
क्यों मानते हो
विरह की वेदना को समझो
बिन कहे को जान जाओ ना
पथिक आओ ना

Language: Hindi
160 Views
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