पकौड़े चाय ही बेचा करो अच्छा है जी।
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मुक्तक
करो मेहनत कमाओ खूब तो अच्छा है जी।
खुदारा आप भी सोचा करो अच्छा है जी।
कहां से नौकरी लाएं सभी के खातिर हम,
पकौड़े चाय ही बेचा करो अच्छा है जी।
कहें जो आप वही है सही अच्छा है जी।
अगर विकास यही है यही अच्छा है जी।
पढ़े व गैर पढ़े सब लगाएंगे ठेला,
कोई ऊंचा नहीं नीचा नहीं अच्छा है जी।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी