नोट बने कागज के पत्ते
हर गली और हर नुक्कड़ पर
आज यही एक शोर है ,
नोट बने कागज के पत्ते
फुटकर बन गए सिरमौर हैं ।
बच्चों की गुल्लक खर्च उठाए
तिजोरी बनी आज चोर है।
पूजी जाती थी जो लक्ष्मी सम
अब चलता न उसका जोर है ।
नोटों की चतुरंगिणी सेना में
कल तक थे जो राजा रानी ,
विधि की मार पड़ी ऐसी देखो
पीये न उनसे आज कोई पानी ।
डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली ।