Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2023 · 4 min read

निश्चल छंद और विधाएँ

निश्चल छंद #निश्चल छंद 16- 7 पदांत गाल
सरल विधान –
(चौपाई चरण (जिसकी यति जगण छोड़कर चौकल हो )
+ चौकल (जगण छोड़कर ) +गाल
/ अथवा -गाल + जगण

सदा देखते हम मानव की , चाल कुचाल |
वह क्षति पहुँचाकर भी करता‌ , नहीं मलाल ||
अपना स्वारथ अपनी बातें , अपना‌ काम |
अच्छा बनता कहता दूजे , है बदनाम ||

फटे पजामें में वह टाँगें , देता डाल |
सभी जगह पर बनता ज्ञानी , वह हर हाल ||
बेतुक की भी बातें करकें ,‌देता ज्ञान |
अकल अजीरण. लेकर घूमें ,सीना तान ||

बना घोसला पंछी अपना , करते गान |
स्वर्ण पिंजरा उनको लगता, नर्क समान ||
सबको अपने‌ घर से रहता , अनुपम प्यार‌ |
अपनी कोशिश से करता है , उसे सँवार ||

शेर देखिए जंगल सोता, अपनी माँद |
नहीं चाहता सिर के ऊपर , चमके चाँद ||
भले गुफा है छोटी उसकी , पर संतोष |
नहीं किसी को जाकर वह भी , देता‌ दोष ||

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

निश्चल छंद 16-7 पदांत गाल (मुक्तक)

समय मिले जब लिखते जाओं, कुछ उद्गार |
भाव हृदय के सुंदर लाकर, कर उपकार |
मात् सरस्वति कृपा करेगी , देगी नेह –
सार पकड़कर सार निकालो, बाँटो सार |

शीत माह की धूप सुहानी , खिलते बाग |
मोर हृदय का हर्षित होता , सुनता राग |
सुमन खिलें मन में मनमोहक , हँसते फूल –
लेखन से कुछ पावन होता ,मन का भाग |

मंजिल भी मिल जाती उनको , जो हो काम |
सूरज तपकर ठंडा होता , आए शाम ||
कीचड़ भी जब कमल खिलाता, महके गंध –
जीत सत्य की रहे हमेशा , होता नाम |

जहाँ कोठरी काजल की है , लगते दाग |
सुनी कहावत बहुत पुरानी , जलती आग |
तपकर बचकर जो भी निकले , होता संत –
आगे जीवन उसका देता , सदा‌ पराग |

कभी -कभी मैं देखा करता , अपनी दाल |
लोग गलाने चल पड़ते है , चलकर चाल |
बीन बजाते खूब हिलाते, अपना शीष –
नहीं सफलता मिलती उनको , करें मलाल |

खरबूजा खरबूजे के सँग , बदले रंग |
सदा एक- सा कर लेते है , अपना ढंग |
हो जाते है दूर सदा को , टूटें डाल –
अपनी- अपनी राह चले सब , रहते तंग |

सुभाष सिंघई

निश्चल छंद , 16 – 7 , अंत गाल (मुक्तक)

बनने का जब अवसर आए , बनना खास |
भक्त बनो हनुमान सरीखे , प्रभु के पास |
संत हुए रविदास भगत जी , जग में नाम –
गंगा को खुद‌ पाया घर में , रखे उजास |

पत्थर जैसा टूटा देखा , है अभिमान |
नहीं नीर की टूटी देखी, हमने आन |
एक चोट से पत्थर ‌ टूटे , बिखरे राह ~
पानी हँसता कभी न खोता , अपनी शान |

जगह- जगह पर देखी गलियाँ, उगते शूल |
जहर बरसता वहाँ न खिलते , कोई फूल |
आज धरा पर रोता मिलता , है विश्वास –
यहाँ झूठ को अच्छे-अच्छे , देते तूल |

सुभाष ‌सिंघई

निश्चल छंद 16- 7 चौपाई चरण + 7 पदांत गाल ( मुक्तक )

जिसका जग में साथ निभाते , कर विश्वास |
जिसको भी हम माने दिल से, अपना खास |
आगे की मत पूछों कैसी , मिलती घात ~
जहाँ घाव कुछ लग जाते है , उगते त्रास |

सीने पर आरी चल जाती , चुभे कटार |
सदा पीठ पर मिलते रहते , है कटु वार |
खेल खेलते लोग निराले , चलकर चाल –
जगह- जगह पर मिलें देखने , जलते खार |

नाम आपका लेकर होते , ऐसे काम |
जगह -जगह पर होते रहते , है बदनाम |
समझ न पाते कोई फितरत, कोई भेद –
पता न चलती अब घातों की , कोई शाम |

सुभाष सिंघई जतारा ( टीकमगढ़ ) म० प्र०

~~~~~~~~~
निश्चल छंद,( मुक्तक )

कौन जगत में तुमसे अच्छा , दीनानाथ ‌ |
जग में ईश्वर तुमको मानूँ , थामूँ हाथ |
सुनकर दीन पुकार प्रभु जी, देते तार ~
कृपा आपकी पाकर होता , उन्नत माथ |

आप जगत में प्रभुवर करुणा , के अवतार |
सदा शरण में लेते सुनकर , दीन पुकार |
भक्तों का भी मान बढ़ाते , सुनते बात ~
देकर चरणों की रज करते , हो उद्धार |

सुभाष ‌सिंघई

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

निश्चल छंद , गीत

सवसे न्यारा सवसे प्यारा, इसका मान | (मुखड़ा )
झण्डा ऊँचा रहे हमारा, गाते गान ||(टेक )

वह झंडे के आगे चंगे , बोलें बोल | (_अंतरा)
हम अधनंगे झंडा थामें , समझें मोल ||
नेता जी भी भाषण देकर , बने प्रधान |
भाषण सुनना लाचारी का ,मिलता पान ||

वह विकाश का नारा देते , हमको‌ आन |( पूरक )
झंडे ऊँचा रहे हमारा , गाते गान ||(टेक )

करकें काले गोरख धंधे , बनें महान |
लोकतंत्र के हम सब बंदे , है हैरान ||
लोकतंत्र अब कॉपे थर-थर,सुनकर व्यान |
चर्चा में वस रहना उनका , रहता ध्यान ||

नेता का हरदम जयकारा , लगता तान |
झंडे ऊँचा रहे हमारा , गाते गान ||

नाम बड़ा है नेता जी का , कहते लोग |
कुर्सी का बस रहता है जी, उनको रोग ||
हर अवसर पर वह जब खींचें, झंडा डोर |
करें सलामी फिर सब देखें , उनकी ओर ||

लोकतंत्र के यही दरोगा , है दीवान |
झंडा ऊँचा रहे हमारा , गाते गान

(सुभाष सिंघई)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~

निश्चल छंद गीतिका , 16 -7 पदांत गाल ,
स्वर – ऐं पदांत – विकार

राग द्वेश के तीर जहाँ भी , करें शिकार |
कालिख मुख पर सदा लगाते , भरें विकार |

जो भी मन में पाले रहता , है अभिमान ,
चाल-ढाल मुख बोली से भी झरें विकार |

धन से बढ़ता मद देखा है , मद है रोग ,
रोगी बनकर रोग बढ़ाता , धरें विकार |

काँटे उसको जग में मिलते , मिले न फूल ,
कभी नहीं उससे इस जग‌ में , डरें विकार |

मन जिसका हो निर्मल पानी , मीठे बोल ,
सदा देखता उसके अंदर , मरें विकार |

क्रोध सदा ही करता मन को , खूब अशांत ,
संत हृदय को जब भी देखें , टरें विकार |

सुख विकार में जो भी खोजे , भारी भूल ,
सत्संगति जिनको मिल जाती ,तरें विकार |

सुभाष सिंघई

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

निश्चल छंद , गीतिका (अपदांत )

जीवन में सुख दुख आता है , कष्ट अपार |
फिर भी मानव जी लेता है, यह संसार ||

शीत गर्म का अनुभव मिलता, सहते लोग ,
हर्ष विषादों का जब लगता , है अम्बार |

जीवन है शुभ मंगल सबको , मानो बात ,
कर्म आपके भरते उसमे ,अमरत खार |

जहाँ धर्म से कर्म हमेशा , करते लोग ,
उनको देता ईश्वर भी है , अपना प्यार |

जहाँ कलश है पुण्य कर्म से ,अब भरपूर ,
सदा जानिए देगा ईश्वर , कृपा निहार |

यह तन जानो ईश्वर की तुम , खींची रेख ,
कहें सुभाषा जोड़े रहना , अपने तार |

सुभाष सिंघई
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Language: Hindi
401 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
Phool gufran
"स्पीड ब्रेकर"
Dr. Kishan tandon kranti
*नवरात्रि के इन पावन पर्व में ...*
*नवरात्रि के इन पावन पर्व में ...*
Shashi kala vyas
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
जीवन में अहम और वहम इंसान की सफलता को चुनौतीपूर्ण बना देता ह
जीवन में अहम और वहम इंसान की सफलता को चुनौतीपूर्ण बना देता ह
Lokesh Sharma
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ना फूल मेरी क़ब्र पे
ना फूल मेरी क़ब्र पे
Shweta Soni
CISA Certification Training Course in Washington
CISA Certification Training Course in Washington
mayapatil281995
" समय बना हरकारा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
अब देख लेने दो वो मंज़िल, जी भर के साकी,
अब देख लेने दो वो मंज़िल, जी भर के साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उनको मंजिल कहाँ नसीब
उनको मंजिल कहाँ नसीब
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
धर्म के परदे  के   पीछे,  छुप   रहे    हैं  राजदाँ।
धर्म के परदे के पीछे, छुप रहे हैं राजदाँ।
दीपक झा रुद्रा
मुस्कुराओ तो सही
मुस्कुराओ तो सही
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Safar : Classmates to Soulmates
Safar : Classmates to Soulmates
Prathmesh Yelne
अल्फ़ाजी
अल्फ़ाजी
Mahender Singh
Blabbering a few words like
Blabbering a few words like " live as you want", "pursue you
Chaahat
हम पचास के पार
हम पचास के पार
Sanjay Narayan
*श्री शक्तिपीठ दुर्गा माता मंदिर, सिविल लाइंस, रामपुर*
*श्री शक्तिपीठ दुर्गा माता मंदिर, सिविल लाइंस, रामपुर*
Ravi Prakash
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
gurudeenverma198
जिंदगी वो है
जिंदगी वो है
shabina. Naaz
🙅आज पता चला🙅
🙅आज पता चला🙅
*प्रणय प्रभात*
4365.*पूर्णिका*
4365.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
इशरत हिदायत ख़ान
तुम आंखें बंद कर लेना....!
तुम आंखें बंद कर लेना....!
VEDANTA PATEL
Loading...