Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Oct 2022 · 1 min read

* नियम *

dr arun kumar shastri – ek abodh balak – arun atript

* नियम *

मैं अमूमन सड़क
के दायें ओर
चला करता हूँ ।
ऐसा नहीं है
कि मुझे देश
के सामान्य
नियमों से गुरेज़ है
पर पीछे से न कोई
ठोक दे ऐसा मैं इस
वजहों से सावधानी
वश करता हुँ।
यूँ तो कोई सामने से
नहीं ठोकेगा इसकी
क्या गारंटी
पर मैं व्यक्तिगत
तौर पे पीठ पर
वार करने वाले
कायरों को मौका
न मिले इस लिये
करता हूँ
करना हो तो सामने से
वार करो अरे इन्सान हो
इंसानियत का
व्यव्हार करो ठोकना है
तो सामने से ठोको
वरना प्यार yes प्यार
सरे आम करो 🤣🤣

88 Views
You may also like:
जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ...
जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ...
दीपक झा रुद्रा
ज़ख्म सिल दो मेरा
ज़ख्म सिल दो मेरा
Surinder blackpen
आप नहीं होते ऐसे सिर पे हमारे
आप नहीं होते ऐसे सिर पे हमारे
gurudeenverma198
रूह का भी निखार है
रूह का भी निखार है
Dr fauzia Naseem shad
✍️मैले है किरदार
✍️मैले है किरदार
'अशांत' शेखर
*हमेशा हारे हैं (हास्य-व्यंग्य गीतिका)*
*हमेशा हारे हैं (हास्य-व्यंग्य गीतिका)*
Ravi Prakash
वक्त और पैसा
वक्त और पैसा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
गुदडी के लाल, लालबहादुर शास्त्री
गुदडी के लाल, लालबहादुर शास्त्री
Ram Krishan Rastogi
Gazal
Gazal
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
ये आग कब बुझेगी?
ये आग कब बुझेगी?
Shekhar Chandra Mitra
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐प्रेम कौतुक-461💐
💐प्रेम कौतुक-461💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दफन
दफन
Dalveer Singh
परम भगवदभक्त 'प्रहलाद महाराज'
परम भगवदभक्त 'प्रहलाद महाराज'
Pravesh Shinde
थोपा गया कर्तव्य  बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
थोपा गया कर्तव्य बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण...
Seema Verma
रुद्रा
रुद्रा
Utkarsh Dubey “Kokil”
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो...
Manisha Manjari
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
संस्कार - कहानी
संस्कार - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
२४२. पर्व अनोखा
२४२. पर्व अनोखा
MSW Sunil SainiCENA
नाम में क्या रखा है
नाम में क्या रखा है
सूर्यकांत द्विवेदी
शब्दों को गुनगुनाने दें
शब्दों को गुनगुनाने दें
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
अधूरी रात
अधूरी रात
डी. के. निवातिया
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक हकीक़त
एक हकीक़त
Ray's Gupta
मेरी किस्मत को वो अच्छा मानता है
मेरी किस्मत को वो अच्छा मानता है
कवि दीपक बवेजा
प्रणय 6
प्रणय 6
Ankita Patel
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Dr Archana Gupta
■ चुनावी साल के अहम सवाल। पूछे तरुणाई!!
■ चुनावी साल के अहम सवाल। पूछे तरुणाई!!
*Author प्रणय प्रभात*
अद्भुत नाम
अद्भुत नाम
Satish Srijan
Loading...