नववर्ष 2023
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ये कैसा नव वर्ष
नवलता का कोई आभास नहीं ।
सब कुछ ठहरा ठहरा है
कहीं कोई आगाज़ नहीं ।
बहुत सोंचती पुनः पुनः मैं
शिष्टाचार निभाऊं मैं भी
नवल वर्ष की दे बधाईयाँ
जग की रीति निभाऊं मैं भी
किन्तु मेरा अन्तस कोरा
वीरान मेरा हृदयालय है।
शुभता, मृदुता , मुस्कान नदारद
विराग कठोर मौन आलय है ।
संचित नहीं लुटाऊं जो मैं
खुशियों की सबको सौगात ।
नहीं झांक कोई सके दरिद्रता
इसीलिए बन्द किए कपाट |