नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
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मुक्तक
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
मिले जो मुफ्त में, गंगा नहाना चाहता हूं।
कि खाना हो न हो, चिंता नहीं है यार मेरे,
मिलेगी मुफ्त में तो आ के पीना चाहता हूं।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी
मुक्तक
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
मिले जो मुफ्त में, गंगा नहाना चाहता हूं।
कि खाना हो न हो, चिंता नहीं है यार मेरे,
मिलेगी मुफ्त में तो आ के पीना चाहता हूं।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी