धर्म
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मुक्तक(धर्म)
जहां,न कोई सत्यकर्म है।
हर दृष्टि से, जो बेशर्म है।
अब,बौखलाए खोज रहे;
वो अधर्मी, सच्चा धर्म है।
___________________
पंकज कर्ण
कटिहार।
मुक्तक(धर्म)
जहां,न कोई सत्यकर्म है।
हर दृष्टि से, जो बेशर्म है।
अब,बौखलाए खोज रहे;
वो अधर्मी, सच्चा धर्म है।
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पंकज कर्ण
कटिहार।