धरती करें पुकार
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/5e1ce8d878af30de4f0f15cf614bb082_5f8aafa7e4c27047862945129c24d5b8_600.jpg)
हरियाली से ढका रहे संसार
धरती की बस यही पुकार
न काटें पेड़ों को बेरहमी से
देता राहत तपती गर्मी से
देते हैं ये फूल,फल रसीले
हरे पत्ते सुंदर व चमकीले
हर तरफ खिले सदाबहार
धरती की बस यही पुकार
बरखा रानी बरसे झमाझम
तालाब में खिले कमल हरदम
नदियों की रवानी कल- कल
सींचती चले सब जल थल
चले मन्द- मन्द सुहानी बयार
धरती की बस यही पुकार।
नूर फातिमा खातून “नूरी ”
जिला कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित