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6 Feb 2022 · 1 min read

देश पर गर मिटा नहीं होता।

गज़ल-

2122…….1212……..22
देश पर गर मिटा नहीं होता।
वो वतन से जुदा नहीं होता।

मां को बस रोटी कपड़ा देने से,
कर्ज़ मां का अदा नहीं होता।

काम करती दुआ वहां पर भी,
जब असर भी दवा नहीं होता।

मां है कुछ भी भला बुरा कह दे,
वो कभी बद्दुआ नहीं होता।

लक्ष्य तब तक न भेद पाओगे,
जब तलक हौसला नहीं होता।

मौत तब न्याय की भी होती है,
वक्त से फैसला नहीं होता।

कोई प्रेमी नहीं अगर मिलता,
प्यार का सिलसिला नहीं होता।

……..✍️ प्रेमी

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