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3 Jan 2023 · 1 min read

देश और देशभक्ति

सदियों से भारत का नक्शा क्यों,धीरे धीरे सिमट रहा है।
क्योंकि देश का हर एक बन्दा यहां अपनों को दुश्मन समझ रहा है।।
मुट्ठी भर अंग्रेजों ने आकर देश में भाई को भाई से खूब लड़ाया।
एक राजा के भरे कान और उसको दूसरों के खिलाफ भड़काया।।
इसी तरह मुगलों ने देश की रियासत प्रथा का फायदा उठाया।
एक रियासत के राजा से मिलकर दूजी रियासत के राजा का सिर कटवाया।।
जैसे तैसे सरदार पटेल ने सबको एक माला का मोती बनाया।
तब कहीं जाकर एक हुए सब,और देश पर भारतीय तिरंगा फहराया।।
इस तिरंगे को अपनाने की खातिर हमने अपना एक बाजू कटवाया।
नेहरू गाँधी फिर भी नहीं समझे,और आस्तीन के कुछ सांपों को यहीं बसाया।।
तीन पीढ़ियों से एक परिवार ने क्यों इन सांपों को दूध पिलाया।
बाकी बचे हुए सब लोगों को जाती धर्म की दलदल में फंसाया।।
आज भी हम इस जात पात के खेल को क्योंकर समझना नहीं चाहते हैं।
और क्यों मंदिर मस्जिद के खेल में खुद को उलझा हुआ पाते हैं।
उठो और जागो तुम अब तुमको आखरी मौका है मिलने का।
अब नहीं खिला तो फिर इस देश में कमल दुबारा नहीं खिलने का।।
कहे विजय बिजनौरी सबसे खुद भी जागो और सबको जगाओ।
खुद की विरासत को है बचाना तो, देशभक्ति का सबको पाठ पढ़ाओ।।

विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 59 Views

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