“देखकर उन्हें हम देखते ही रह गए”
देखकर उन्हें हम देखते ही रह गए
देखा ना हुश्न ऐसा निहारते ही रह गए
परी है अप्सरा है या उतरी हूर जन्नत से
है क्या ये बला सोचते ही रह गए
किसने बनाया होगा हुश्न लाजवाब ऐसा
तारीफ़ कारीगरी की करते ही रह गए
ना सोचा था कभी ना देखा कभी हमने
निगाहों से नशीले जाम पीते ही रह गए
ओझल हुआ इस तरह निगाहों से
ढूंढे ना मिला राणाजी खोजते ही रह गए
©ठाकुर प्रतापसिंह”राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)