पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा उपयोग अत्याचार है
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दूध मांसाहार तो नहीं है, लेकिन यह सच है कि पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा खाने–पीने, धार्मिक उपयोग में लाने जाने सहित हर उपयोग उनपर, उनके बच्चों पर अत्याचार है, उनका हक़–हिस्सा हड़पना है।
दूध मांसाहार तो नहीं है, लेकिन यह सच है कि पशुओं के दूध का मनुष्य द्वारा खाने–पीने, धार्मिक उपयोग में लाने जाने सहित हर उपयोग उनपर, उनके बच्चों पर अत्याचार है, उनका हक़–हिस्सा हड़पना है।