दिल का दर्द आँख तक आते-आते नीर हो गया ।
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दिल का दर्द आँख तक आते-आते नीर हो गया ।
हँसकर सही पीर जिसने जगत में फकीर हो गया ।
सहमे -सहमे से भटक रहे हैं झूठे लोग यहाँ –
बिना डरे सच बोला जिसने वही कबीर हो गया ।।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०