दाना पानी के सिलसिले
दाना-पानी के सिलसिले परदेश में ले जाते
बच्चे माँ-बाप से बिछड़, अपनी जीविका कमाते।
बूढ़ो की अपनी मजबूरी नीरस जीवन जीते
एक समय लाचार हो, शरण वृद्धाश्रम पाते।
दाना-पानी के सिलसिले परदेश में ले जाते
बच्चे माँ-बाप से बिछड़, अपनी जीविका कमाते।
बूढ़ो की अपनी मजबूरी नीरस जीवन जीते
एक समय लाचार हो, शरण वृद्धाश्रम पाते।