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2 Nov 2016 · 1 min read

तो सच बताएगा कौन?

अगर दोनो रूठे रहे, तो फिर मनाएगा कौन?
लब दोनो ने सिले, तो सच बताएगा कौन?

तुम अपने ख़यालो मे, मै अपने ख़यालो मे
यदि दोनो खोए रहे, तो फिर जगाएगा कौन?

ना तुमने मुड़कर देखा, ना मैने कुछ कहाँ
ऐसे सूरते हाल मे, तो फिर बुलाएगा कौन?

मेरी चाहत धरती, तुम्हारी चाहत आसमान
क्षितिज तक ना चले, तो मिलाएगा कौन?

मेरी समझ को तुम, तुम्हे मै नही समझा
इस समझ को हमे, आज समझाएगा कौन?

लड़खडाकर गिरे उठे, ढूढ़ने अपनी मंज़िल
नजरो मे गिरे अगर, तो बचाएगा कौन ?

लब दोनो ने सिले, तो सच बताएगा कौन?

कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय

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