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1 Apr 2024 · 1 min read

तुम ही रहते सदा ख्यालों में

तुम ही रहते सदा ख़्यालों में
जब से सूरत बसी निगाहों में

इश्क का रोग क्या लगा हमको
जागते हैं, न सोते रातों में

जब से तुम दूर हो गए हमसे
मन ही लगता नहीं बहारों में

क्यूँ हुये बेवफ़ा बताओ तो
क्या कमी थी हमारी चाहों में

जो इरादों में जोर रखते हैं
जीत होती उन्हीं के कदमों में

शब्द तारीफ़ में कहें क्या हम
एक तुम ही तो हो हज़ारों में

कोई शिकवा न था गिला कोई
दर्द था सिर्फ उनकी आँखों में

जितने भी तुम गुलाब लाए थे
महकते आज भी किताबों में

‘अर्चना’ वो नहीं मिला अब तक
माँगते जो रहे दुआओं में

डॉ अर्चना गुप्ता
31.03.2024

Language: Hindi
1 Like · 1423 Views
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