तुम बिन आवे ना मोय निंदिया
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तुम बिन आवे ना मोय निंदिया,
सूनी लागे है ये काजल बिंदिया।
आन मिलो सजना अब तुम मेरे,
चैन से आयेगी तभी ये निंदिया।।
तुम बिन लागे है ये रात अंधेरी,
याद करती है तुम्हारी ये चकोरी।
अब तड़पाओ ना अब साजन मेरे,
वरना मर जायेगी ये चांद चकोरी।।
तुम बिन लागे ना भूख व प्यास,
रहती है तुमसे मिलने की आस।
इस आस को तुम पूरी कर डालो,
बुझा दो आकर तुम मेरी प्यास।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम