तुम इन हसीनाओं से
दूर ही रहो यारों, तुम इन हसीनाओं से।
मत करो यारी यारों, तुम इन हसीनाओं से।।
दूर ही रहो यारों—————————।।
क्या सोच रही हो, क्या तुम्हें देख रहा हूँ।
तारीफ तेरे हुस्न की मैं, नहीं कर रहा हूँ।।
दीवाना नहीं हूँ मैं, तेरी इस सूरत का।
नहीं दिल लगाओ यारों, तुम इन हसीनाओं से।
दूर ही रहो यारों—————————-।।
साथी बदलती हो तुम, कपड़ों की तरहां।
वफ़ा तुम बदलती हो, गिरगिट की तरहां।।
तुम बेवफा हो , काबिल नहीं हो हमारे।
हस्ती मत मिटावो यारों, तुम इन हसीनाओं से।।
दूर ही रहो यारों————————–।।
चाहती हो तुम दौलत, सुख महलों का
तुम्हारे लिए करें क्यों, खून फूलों का।।
नहीं कोई तेरा ईमान, नहीं तुझमें कोई शर्म।
चमन मत लुटाओ यारों, तुम इन हसीनाओं से।।
दूर ही रहो यारों—————————।।
कमी क्या है हम में ,जो गुलामी तुम्हारी करें।
तुम्हारे कारण क्यों हम, बदनामी अपनी करें।।
तुम्हारी तरहां अहमी और आजाद हम भी है।
रहो आजाद यारों, तुम इन हसीनाओं से।
दूर ही रहो यारों—————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा ऊर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)