Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2023 · 2 min read

डाकिया डाक लाया

शाम को बाजार घुमते हुए मेरी नज़र अकस्मात इस लेटर बाॅक्स पर पड़ी। स्वत: स्फूर्त्त सड़क की बायीं ओर गाड़ी लगा कर मैं चुल्हे के रुप में सेवा दे रहे लेटर बाॅक्स के करीब गया। एक साथ मस्तिष्क में कई तार झंकृत हो गये और सिनेमा के रील की तरह घटनाक्रम सामने से गुजरने लगे। बाल मन से लेकर अब तक का एक अपनापन का नाता इस लेटर बाॅक्स से और उसकी इस भयानक दुर्गति को देख कर मन तो खौल गया। बचपन में घर से पत्र कभी इस बक्से में गिराने के लिए इस कड़ी हिदायत के साथ मिलता था कि पत्र गिराते ही ढ़क की आवाज अवश्य सुन लें। हम पंछी उन्मुक्त गगन के वाली बचपना के कारण ढ़क वाली बात भूल जाते और घर लौटते वक्त अचानक याद आता। फिर भय से रिवर्स गियर लगा कर पोस्ट ऑफिस पहुॅंच जाते। दिमाग काम नहीं करता वहीं मॅंडराते रहते। अचानक पोस्ट मास्टर चाचा की नजर पड़ती तो पूछ बैठते कि कुछ खो गया। शरमाते हुए उन्हें जब बताते तो वे हॅंसते हुए बोलते कि निश्चिंत होकर जाओ चिट्ठी हम पहुॅंचा देंगे। डाकिया द्वारा पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय,लिफाफा के रुप में पाये गये पत्र को पाने के बाद परमानन्द की अनुभूति के बारे में उस समय के लोग ही सही सही बता सकते। उस समय पत्र लेखन ही संचार का शक्तिशाली माध्यम हुआ करता था। मोबाईल और इंटरनेट क्रान्ति ने इतनी चालाकी से इस लेटर बाॅक्स से लोगों का मोहभंग किया कि साॅंस लेने लायक नहीं छोड़ा। पोस्ट ऑफिस भी अब नये अवतार में अवतरित होकर मार्केट में अपना पैठ बनाये रखने के लिए तरह तरह के प्रयोग को अपना रहा है पर उनका क्या जिनकी गहरी यादें इनसे कभी जुड़ी हुई थी और एक अपनत्व का नाता था कभी।

2 Likes · 269 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Paras Nath Jha
View all
You may also like:
होश खो देते जो जवानी में
होश खो देते जो जवानी में
Dr Archana Gupta
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय प्रभात*
गीता हो या मानस
गीता हो या मानस
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तभी तो असाधारण ये कहानी होगी...!!!!!
तभी तो असाधारण ये कहानी होगी...!!!!!
Jyoti Khari
डर का घर / MUSAFIR BAITHA
डर का घर / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Storm
Storm
Bindesh kumar jha
सरल भाषा में ग़ज़लें लिखना सीखे- राना लिधौरी
सरल भाषा में ग़ज़लें लिखना सीखे- राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
भारत की है शान तिरंगा
भारत की है शान तिरंगा
surenderpal vaidya
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
शेर अर्ज किया है
शेर अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Who Said It Was Simple?
Who Said It Was Simple?
R. H. SRIDEVI
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
जरूरी है
जरूरी है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
रेत सी जिंदगी लगती है मुझे
रेत सी जिंदगी लगती है मुझे
Harminder Kaur
"आशिकी"
Dr. Kishan tandon kranti
यहाँ तो मात -पिता
यहाँ तो मात -पिता
DrLakshman Jha Parimal
3634.💐 *पूर्णिका* 💐
3634.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आज फ़िर एक
आज फ़िर एक
हिमांशु Kulshrestha
स्कूल चलो
स्कूल चलो
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कितना प्यार
कितना प्यार
Swami Ganganiya
हर दिन माँ के लिए
हर दिन माँ के लिए
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जां से गए।
जां से गए।
Taj Mohammad
फूल खिले हैं डाली-डाली,
फूल खिले हैं डाली-डाली,
Vedha Singh
दिल का दर्द, दिल ही जाने
दिल का दर्द, दिल ही जाने
Surinder blackpen
कल पर कोई काम न टालें
कल पर कोई काम न टालें
महेश चन्द्र त्रिपाठी
करवां उसका आगे ही बढ़ता रहा।
करवां उसका आगे ही बढ़ता रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
ढ़ांचा एक सा
ढ़ांचा एक सा
Pratibha Pandey
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...